Shri Brijraj Swami Mandir
Shri Brijraj Swami Mandir
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श्री बृजराज स्वामी मंदिर, नूरपुर परिचय
“हिमाचल प्रदेश के प्रमुख द्वार, प्राकृतिक पहाडियों के मनमोहक दृश्य एवम् स्वस्थ जल-वायु से संयुक्त समुंदर तल से 2125 फुट की ऊंचाई पर बसा नगर “नूरपुर” पठानकोट कुल्लू राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित आज भी ऐतिहासिक पृष्ठों से जुडा है.
मुगल राजवंश के सम्राट नूरुद्दीन सलीम जहांगीर (1569-1627) की रानी नूरजहाँ की यात्रा तक नूरपुर को धमेरी के नाम से जाना जाता था। रानी शहर की प्राकृतिक सुंदरता से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने यहां अपना महल बनाने का फैसला किया। इसने तत्कालीन स्थानीय शासक राजा जगत सिंह पठानिया के लिए एक समस्या खड़ी कर दी, वह नहीं चाहते थे कि मुगल प्रभुत्व और राजनीति के कारण उनकी स्वतंत्रता कम हो जाए। इसलिए, उन्होंने यह कहानी गढ़ी कि उस जगह की जलवायु अच्छी नहीं थी और इससे घेंघा रोग हो सकता है, जो उस समय स्थानीय लोगों में बहुत आम था। उन्होंने रानी को सलाह दी कि लंबे समय तक उनके शहर में रहने से उनकी सुंदरता ख़राब हो सकती है, और शहर में एक काल्पनिक स्थानीय बीमारी भी है जो उन्हें प्रभावित कर सकती है। इससे रानी इतनी घबरा गई कि वह जल्दी से वहां से चली गई और 1622 में, मुगल रानी के सम्मान में शहर का नाम बदलकर नूरपुर कर दिया गया, जिन्हें इस जगह की सुंदरता से प्यार हो गया था।
श्री बृजराज स्वामी मंदिर जो पुराना दरबार-ए-खास था.राजा जगत सिंह ने इस दरबार-ए-खास को मंदिर का रूप दिया तथा भित्तिकाओं पर कृष्ण लीलाओं का चित्र चित्रण करवाया था इस किवदन्ता से ई-सन् 1619 से 1623 के मध्य एक बार राजा जगत सिंह अपने पुरोहित के साथ चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) के राजा के आमंत्रण पर गए. राजा तथा पुरोहित को जो कमरा रहने के लिए दिया उस के साथ एक मंदिर था !
आधी रात के समय उस मंदिर से घुंघरूओं की आवाजें और संगीत की धुनें कान में पड़ी ! राजा ने दरबार खोल कर देखा की एक औरत बंद कमरे में भजन गाती हुई नाच रही थी पुरोहित तथा राजा के मन में विचार आ गया, पुरोहित ने राजा से कहा कि राजन, जब यहाँ से जाना है उपहार में राजा से यह मूर्तियां ही मांगना यह मूर्तियां साक्षात् भगवान श्री कृष्ण तथा मीरा का रूप हैं, राजा जगत सिंह ने ऐसा ही किया विदाई के समय उपहार में यही मूर्तियाँ मांगी. चित्तौड़गढ़ के राजा ने सम्मान पूर्वक यह मूर्तियां तथा मौलसरी का पेड उपहार के रूप में लाकर, श्री बृजराज मंदिर में स्थापित करवाया. काले संगमरमर से बनी राजस्थानी शैली से निर्मित श्री कृष्ण की दिव्य मूर्ति एवम् अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी जीती जागती मिसाल है”
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जन्माष्टमी समारोह
नूरपुर के श्री बृजराज स्वामी मंदिर में इस बार जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है, आप सभी से अनुरोध है कृपा करके भगवान का आशीर्वाद और प्रसाद ग्रहण करने आएं
कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे
Mon, 26 Aug, 2024